गुमला: 2014 में लोकसभा सीट में दूबारा अपनी विजय पताका फहराने के बाद तिकड़ी बनाने के लिए एवं साथ ही लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मजबूती प्रदान करने के लिए लोकसभा चुनाव2019 में भाजपा के वर्तमान सांसद सह केन्द्रीय राज्य मंत्री सुदर्शन भगत को लोहरदगा सीट से भारी बहुमतों से विजय दिलाने के लिए मजबूत टीम निर्वाचन क्षेत्र के सुदूर गांवों तक जिसमें भाजपा की महिला मोर्चा एवं अनेकों संगठन, मोर्चा के कार्यकर्ता नेताओं द्वारा नक्सल प्रभावित क्षेत्र कुरूमगढ़ से लेकर पेशरार तक नरेन्द्र मोदी जी के लिए जनसमर्थन के साथ जनसमपर्क अभियान चला कर लोगों को मतदान के लिए जागरूक कर रहे हैं। गुमला शहर के टोलें हो या फिर बिशुनपूर से लेकर गुमला व सिसई विधानसभा के कस्बें उसी तरह लोहदगा व मांड़र क्षेत्र में भी इसी तरह 29 अप्रैल को लोग अपने -अपने घरों से निकले और लोकतंत्र की मजबूती के लिए देश की शक्ति के लिए और भाजपा की मजबूती के लिए मतदान करने का जनसमपर्क अभियान में जूट गए हैं। भाजपा को मजबूती प्रदान करने के लिए भाजपा पूर्व से ही बूथ कमेटी को मजबूत बनाने का काम करते हुए केन्द्र व राज्य सरकार के विकास योजनाओं को जन जन तक पहुंचाने का काम कर क्षेत्र में अपनी पकड़ बनाकर चुनावी मैदान पर हैं। इस बार निर्वाचन आयोग के नियमावली पर पहले की तरह लाउडस्पीकर गूंजने की आवाज कम दिखाई दे रहे है। भाजपाई विधायक शिव शंकर उरांव गुमला में तो सिसईविधायक दिनेश उरांव अपने क्षेत्र में और मांडर के विधायक गंगोत्री कुजूर भी लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा प्रत्याशी सुदर्शन भगत के लिए दिन रात एक किए हुए हैं। भाजपा द्वारा चलाएं जा रहे इस जनसमपर्क अभियान को भी जनसमर्थन मिल रहा है। अनेको ने भाजपा की सदस्यता लेकर दर्शा दी है कि विकास के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को मजबूती प्रदान करने की जरूरत है। भाजपा को इस बार लोकसभा चुनाव में अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेस के साथ इस लोकसभा में चुनावी मैदान में कुल तेरह प्रत्याशी से टक्कर लेनी है जिसमें झापा, बसपा, सहित निर्दलीय उम्मीदवार भी मैदान में अपना भाग्य आजमा रहे हैं। इस बार क्षेत्र की राजनीतिक आंकड़े को उलट पलट कर देने वाले चमरा लिंडा का चुनावी मैदान पर नही होने से वोटों का धुर्वीकरण किस ओर होगा अनुमान लगाना नामुमकिन है। लोकसभा चुनाव2019 में महिला मतदाओं की अहम भूमिका नजर आ रही है । महिलाएं समूहों में टोली बनाकर उत्साह में है।कभी घर के अंदर से बाहर कम निकलने वाली महिलाओं में शिक्षा और स्वावलंबी बनने की इच्छाशक्ति बढ़ी है ।
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